राजनीतिक संवाददाता, भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस की सत्तारुढ सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद अब सबकी निगाहें नई सरकार के गठन पर टिक गई है। वहीं नई सरकार के गठन को लेकर भाजपा नेता अभी जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं। तकरीबन सवा साल तक विपक्ष में रहने के बाद भाजपा की मप्र में एक बार फिर से सत्ता में वापसी हो रही है। मुख्यमंत्री कमल नाथ के इस्तीफे के बाद नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है। उधर भाजपा के जानकारों की माने तो केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राष्ट्रीय महासचिव अनिल जैन को मध्यप्रदेश में नई सरकार के गठन के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया जा सकता है। पार्टी नेताओं का कहना है कि ये दोनों नेता ही लंबे समय से भाजपा का ऑपरेशन मप्र देख रहे थे। इस कारण उन्हें ही नई सरकार के गठन की बागडोर सौंपे जाने की संभावना है। दोनों नेताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा में आमद को लेकर कवायद की थी और विधायकों को बेंगलुरु ले जाने से लेकर बाकी सारे इंतजाम किए थे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कयूं का आह्वान किया है इसलिए सभी लोग सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक स्वेच्छा से अपने घरों में रहें। चौहान ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री के आह्वान को सारी दुनिया ध्यान से सुनती है। उनके आह्वान को शिरोधार्य करते हुए मेरा सभी से आग्रह है कि कोरोना को समाप्त करने में सहयोग करें और जनता कयूं को लागू करें। इधर, नई सरकार के गठन से पहले सियासत का सारा फोकस पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर केंद्रित हो गया है। उनके निवास पर देर रात तक बड़ी संख्या में भाजपा विधायकों का जमावड़ा लगा रहा। वहीं, शुक्रवार रात्रि को चौहान द्वारा दिया गया रात्रिभोज अचानक रद्द कर दिया गया। चौहान ने एक वीडियो संदेश देकर कहा कि कोरोना के खतरे को देखते हुए भोज निरस्त किया गया है।
सिंधिया की चली तो शिवराज होंगे नए सीएम
भोपाल । मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी है। राज्य में पिछले 18 दिन से चल रहे राजनीतिक ड्रामे का अंत हुआ। इस घटनाक्रम के बाद अब सबकी निगाहें बीजेपी की तरफ हैं कि वह किसे मख्यमंत्री चनेगी। तीन बार सीएम रह चुके शिवराज सिंह चौहान का नाम रेस में सबसे आगे है। शिवराज ने ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी की तरफ खींचा। जब वे बीजेपी में शामिल हो गए तो शिवराज ने ट्वीट भी किया था कि महाराज के साथ शिवराज। ऐसे में सिंधिया की च्वॉइस पर पार्टी नेतृत्व मुहर लगा सकता है। मगर पार्टी चौंकाने वाला फैसला भी कर सकती है। चौहान 2005 पाटी नेतृत्व मुहर ला से 2018 तक लगातार 13 साल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्हें एमपी के अगले सीएम की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। भले ही शिवराज सबको स्वीकार्य ना हों मगर एमपी में बीजेपी के सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता वहीं हैं। सीएम पद पर कौन बैठेगा, इसमें कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की राय भी अहम हो सकती है।
नरोत्तम मिश्रा का नाम भी चर्चा में
नरोत्तम मिश्रा का नाम उठा तो है मगर वह इस रेस में उतनी मजबूती से खड़े नहीं दिख रहे। राज्य में लंबे समय से कोई ब्राह्मण चेहरा सत्ता में नहीं बैठा है और उनके फेवर में ये बात जा सकती है। हालांकि सिंधिया और उनके बीच के रिश्ते उतने मधुर नहीं।