व्यापमं: नपेंगे डीएमई के अफसर काउंसलिंग में शामिल अफसरों और कर्मचारियों की मांगी जानकारी

नगर संवाददाता,भोपाल। व्यावसायिक परीक्षा मंडल के जरिए परीक्षा देकर मेडिकल में प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों के फर्जी दस्तावेजों को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) के अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरनी तय है। उन अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है जिन्होंने काउंसलिंग के दौरान दस्तावेजों के परीक्षण की जिम्मेदारी उन अधिकारियों और कर्मचारियों की थी, जिनकी इस काम के लिए ड्यूटी लगाई गई थी। मध्यप्रदेश एसटीएफ ने इस संबंध में डीएमई को पत्र लिखकर काउंसलिंग में शामिल रहे अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी है। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी, उनसे जुड़े दस्तावेज (आदेश की प्रति) भी मुहैया कराने को कहा है। एडीजी एसटीएफ डा. अशोक अवस्थी के मुताबिक यह जानकारी वर्ष 2004 से 2011 के बीच की काउंसिलिंग में शामिल होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की मांगी गई है। नए सिरे से मुकदमा दर्ज एसटीएफ ने नए सिरे से उन मामलों में मुकदमा दर्ज किया है, जो उम्मीदवार फर्जी जाति और निवास प्रमाण पत्र बनवाकर दाखिला लिए थे। लिखित परीक्षा व्यापमं के जरिए कराई गई थी। व्यापमं के परिणाम के बाद छात्रों ने फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाकर राज्य के कोटे (खुद को मध्यप्रदेश का मूल निवासी बताकर) में एडमीशन लिया था। जिन उमीदवारों ने राज्य के कोटे में एडमीशन लिया था, उनके दस्तावेजों का परीक्षण काउंसलिंग के दौरान होना थी। इसलिए काउंसलिंग में शामिल रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की एसटीएफ जिमेदारी तय करना चाहती है। अफसरों का कहना है कि डीएमई से दस्तावेज मिलने के बाद संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। उनसे यह पूछा जाएगा कि दस्तावेजों का सत्यापन किस आधार पर किया गया था। परीक्षण के दौरान उनकी गड़बड़ी यों नहीं पकड़ी गई। उनके बाद मेडिकल कालेजों के अधिकारियों और कर्मचारियों की बारी आएगी। मेडिकल कालेजों ने बरती लापरवाही ऐसा इसलिए कि मेडिकल कालेजों ने भी अपने स्तर पर उन फर्जी दस्तावेजों का सत्यापन नहीं कराया था।


गिरोह में शामिल माने जाएंगे  एसटीएफ के अफसरों की माने तो काउंसलिंग में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की अगर गलती पाई जाती है, तो उन्हें फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह में शामिल माना जाएगा। उनके खिलाफ उसी हिसाब से कार्रवाई होगी। दस्तावेजों का परीक्षण नहीं कराने का सीधा मतलब गिरोह के सदस्यों से उनकी मिलीभगत है। मध्यप्रदेश एसटीएफ ने अब तक कुल 13 प्रकरण दर्ज किए हैं। प्रकरण दर्ज करने से पहले संबंधित जिलों के कलेटरों को उम्मीदवारों के मूल निवासी प्रमाण पत्र भेजकर सत्यापन कराया है। संबंधित कार्यालयों ने एसटीएफ को यह लिख कर दिया है कि दस्तावेज फर्जी हैं और इस कार्यालय से नहीं बनाए गए हैं।