भोपाल । मध्य प्रदेश में तीन सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा। हाल ही कांग्रेस छोडकर भाजपा में आए श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस से दिग्विजय सिंह की जीत तय मानी जा रही है जबकि तीसरी सीट पर भाजपा उम्मीदवार की ही राह आसान दिख रही है। पिछले दिनों प्रदेश की सत्तारुढ कांग्रेस सरकार गिरने के बाद यह साफ हो गया है था कि राज्य सभा चुनाव में भाजपा ही भारी पडेगी। राज्य सभा के चुनाव 26 मार्च को होना है। इन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि दोनों राजाओं के दांव में प्यादों की किस्मत पिट गई। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि मध्य प्रदेश में सत्ता के उलटफेर की बुनियाद राज्यसभा चुनाव के चलते ही पड़ी। कांग्रेस महासचिव रहे ग्वालियर राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा से राज्यसभा उम्मीदवार घोषित होते ही वहां करीब एक दर्जन दावेदारों के अरमान दिल में ही रह गए। कांग्रेस से एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री उम्मीदवार और राघौगढ़ रियासत के दिग्विजय सिंह के उम्मीदवार बनने से दर्जन भर प्रमुख नेताओं की किस्मत का ताला नहीं खुल सका। सिंधिया और दिग्विजय की लडाई तो अपने-अपने हित में शुरू हुई लेकिन इनके दांव में दोनों दलों के कुछ नेताओं की महत्वाकांक्षा पिस गई है। दूसरी वरीयता के उम्मीदवार के रूप में भाजपा ने सुमेर सिंह सोलंकी तथा कांग्रेस ने अनुसचित समाज के प्रमुख नेता फूल सिंह बरैया पर दांव लगाया है। वैसे तो भाजपा से रंजना बघेल ने भी नामांकन किया लेकिन औपचारिकता पूरी होते ही उनकी नाम वापसी हो गई है। 230 सदस्यों वाली मप्र विधानसभा में इस समय केवल 206 सदस्य हैं। दो सदस्यों का पहले ही निधन हो गया था जबकि छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों के इस्तीफे हो चुके हैं। ऐसे में राज्यसभा के एक उम्मीदवार को जीत के लिए 52 विधायकों के मत की जरूरत होगी। कांग्रेस के पास अध्यक्ष समेत 92 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास 107 सदस्य हैं। चार निर्दलीय, दो बसपा व एक सपा के सदस्य हैं