महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का अष्टम् दीक्षांत समारोह सम्पन्न दुनिया में ज्ञान-विज्ञान हमारे पूर्वजों की देन है: राज्यपाल

प्रशासनिक संवाददाता,भोपाल राज्यपाल एवं कुलाधिपति लालजी टंडन के मुख्य आतिथ्य में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का अष्टम दीक्षांत समारोह संपन्न हुआसमारोह में कृषि, कला, अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी, ग्रामीण विकास एवं व्यवसाय प्रबंध, विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय सहित पी.एच.डी. तथा स्वर्ण पदक विजेता विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की गई। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुये राज्यपाल एवं कुलाधिपति लालजी टंडन ने कहा कि उपाधियाँ प्राप्त करने के बाद जीवन के नए रास्ते खुल जाते हैं। किसी विधा में कड़ी मेहनत कर विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए। हमारी संस्कृति हजारों साल पुरानी है। दुनिया को ज्ञान-विज्ञान की देन हमारे पूर्वजों की देन है। सारी दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में भारतीय मूल के नागरिकों की अहम् भूमिका रही है। हमारे ऋषि मुनियों ने सारी दुनिया को ज्ञान दिया है। मेडिकल साइंस में आज भारत किसी से कम नहीं है। आज सारी दुनिया सुश्रुत को फादर आफसर्जरी मानती है। कौटिल्य ने सारी दुनिया को सबसे पहले अर्थशास्त्र की सीख दी। शून्य की खोज भी भारत के महान गणितज्ञ आर्य भट्ट ने की। राज्यपाल टंडन ने कहा कि भारत की आत्मा ग्रामों में रहती है। नानाजी देशमुख ने इसी को ध्यान में रखते हुए इस विश्वविद्यालय की शुरूआत की। उन्होंने नानाजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की सराहना की। उनकी सोच से ही ग्राम विकास का माडल चित्रकूट में देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में शोध कार्य पर ध्यान देंगे तो उनके कैरियर के लिए बेहतर होगा। यदि आप किसी एक विषय में आगे बढ़ेंगे तो देश के लिए अहम योगदान दे सकते हैं। कला संकाय के छात्रों ने राज्यपाल को उनके चित्र की प्रतिकृति भेंट की। विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद बैंगलौर के अध्यक्ष प्रो. वीरेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि चित्रकूट शिक्षा ग्रहण करने के लिये अच्छा स्थान है। दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को देश की समृद्वि, विकास एवं अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर होने की शपथ दिलाई गई।  राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के छात्र-छात्राओं को पदक एवं उपाधियां प्रदान की। समारोह में कुल 120 शोध उपाधि धारकों को डिग्रियां प्रदान की गई। इनमें 64 छात्र एवं 56 छात्राएँ शामिल थी। समारोह में 42 छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेशचंद गौतम, विधायक नीलांशु चतुर्वेदी, संभागायुक्त डॉ. अशोक कुमार भार्गव, जन-प्रतिनिधि, शिक्षाविद्, गणमान्य नागरिक, छात्र-छात्राएं एवं अभिभावकगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह के पूर्व राज्यपाल एवं कुलाधिपति लालजी टंडन की अध्यक्षता में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के रजत जयंती भवन में प्रबंध मंडल की 56 वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रबंध मंडल के सदस्यगण सहित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेश चंद गौतम, कुलसचिव राकेश कुमार चौहान मौजूद थे। बैठक में पिछली बैठक के पालन-प्रतिवेदन एवं विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों पर चर्चा की गई। 


अब कॉलेजों में भी अनिवार्य होगी पैरेंटस टीचर मीटिंग उच्च शिक्षा विभाग ने नियम बनाने की शुरु की तैयारी


भोपाल । अभी तक निजी स्कूलों में ही पैरेंटस टीचर मीटिंग (पीटीएम) होती थी, लेकिन अब अगले शैक्षणिक सत्र से सरकारी एवं निजी दोनों ही कॉलेजों में पैरेंटस टीचर मीटिंग शुरु होने जा रही है। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने नियम बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र 2020-21 से सभी कॉलेजों में लाग होगी। विभाग का मानना है कि इससे छात्रों के अभिभावकों को पता चल सकेगा कि उनके बच्चे कॉलेज में क्या-क्या गतिविधियां कर रहे हैं। उनकी शिक्षा का स्तर क्या है। वहीं राजधानी के कुछ सरकारी कॉलेजों में तो चालू सत्र से ही पीटीम शुरू हो गई है। इनमें राजधानी का एमएलबी गर्ल्स कॉलेज, सरोजनी नायडू गर्ल्स कॉलेज, गीतांजलि गर्ल्स कॉलेज और मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय शामिल हैं। अगले साल से यह व्यवस्था प्रदेश के करीब डेढ़ हजार कॉलेजों में लागू हो जाएगी। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी अतिरिक्त संचालकों और प्राचार्यों को पत्र भी लिखा है। प्रदेश में अब तक एमपी बोर्ड, सीबीएसई के स्कूलों में पीटीएम आयोजित की जाती थी। इसका मकसद छात्रों के अभिभावकों के परिजनों से रूबरू होकर उन्हें उनके बच्चों की गतिविधियों के बारे में बताना है। कॉलेजों में भी पीटीएम शुरू करने को लेकर सुझाव उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री जीतू पटवारी को मिला था। उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों से चर्चा कर इस व्यवस्था को कॉलेजों में लागू करने के भी निर्देश दिए थे। इसके बाद ही यह नई व्यवस्था लाग होने जा रही है। राजधानी के सरकारी कॉलेजों में आयोजित की गई पीटीएम में मिलीजली प्रतिक्रिया मिली है। कुछ कॉलेजों में परिजनों ने शिक्षकों से मिलने में ज्यादा रुचि दिखाई है तो कुछ कॉलेजों में परिजन पीटीएम में पहुंचे ही नहीं।