मध्य प्रदेश में सियासी घमासान मप्र में 18 घंटे से चल रहा सियासी ड्रामा : कांग्रेस का आरोप- भाजपा ने 9 विधायकों को गुड़गांव के होटल में बंधक बनाया, भाजपा बोली- 15 और संपर्क में


भोपाल/नई दिल्ली। कर्नाटक की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश में भी सियासी नाटक शुरू हो चुका है। मंगलवार देर रात हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता पीसी शर्मा का आरोप है कि कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने को लेकर भाजपा ने 10 विधायकों को पाला बदलने के लिए 35 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था। विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में रखा गया था। हालांकि, दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि इनमें से 6 विधायकों को भाजपा के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है। अब सिर्फ 4 विधायक ही बीजेपी के पास हैं। इस सियासी घमासान के बीच आइए समझते हैं कि ये 4 विधायक क्या कमलनाथ सरकार के लिए मुसीबत बन सकेंगे, या फिर कांग्रेस सरकार इस कथित ऑपरेशन लोटस को नाकाम कर देगी।


6 विधायक लौटे, 4 बैंगलुरु शिफ्ट  की सियासत में पिछले 24 घंटे में छिड़े सियासी घमासान में अल्पमत में नजर आती कांग्रेस की कमलनाथ सरकार भाजपा के आपरेशन लोटस अभियान को फेल करने में जुटी रही। मंगलवार देर रात से भाजपा पर दिल्ली में विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगाती कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दिल्ली पहुंचकर दावा किया कि उनके 10 में से 6 विधायक वापस आ गए हैं। हालांकि 4 विधायक अभी भी भाजपा के कब्जे में हैं। सूत्रों का दावा है कि इन विधायकों को बैंगलुरु शिफ्ट किया गया है। आज सुबह दिग्विजय ने कहा कि होटल मानेसर में विधायकों को पैसा बंटने वाला था। यदि आयकर विभाग छापा मारता को बड़ी मात्रा में नकदी मिलती।


ये विधायक भाजपा के संपर्क में थे:-  कांग्रेस के आरोपों के अनुसार निर्दलीय विधायक सुरेन्द्रसिंह शेरा, बसपा विधायक रामबाई, सपा विधायक राजेश शुक्ला, कांग्रेस विधायक एंदलसिंह कंसाना, बिसाहलाल सिंह, हरदीपसिंह डंग, रणवीर जाटव, कमलेश जाटवगिरिराज दंडोतिया समेत 10 विधायक हैं। इनमें से 6 विधायकों के वापस लौटने का दावा है।


 शिवराज ने डाले हथियार हम सरकार नहीं गिराना चाहते :- सरकार की उठापटक के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भोपाल लौट आए हैं और उन्होंने दावा किया है कि हम सरकार नहीं गिराना चाहते, लेकिन अगर खुद सरकार गिरे तो भाजपा क्या करे... इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की मलाकात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से होने वाली थी, लेकिन मुलाकात होने से पहले ही शिवराज अचानक भोपाल लौट आए। माना जा रहा है कि नड्डा ने तोडफ़ोड़ से मना कर दिया।


सिंधिया के गढ़ में सेंध :-  भाजपा द्वारा चलाए गए तोडफोड़ अभियान में सर्वाधिक सेंध सिंधिया के गढ़ में लगाई है। भाजपा के संपर्क में आने वाले अधिकांश विधायकों में ग्वालियर, चंबल के ही सबसे ज्यादा विधायक शामिल रहे हैं। हालांकि इनमें एंदलसिंह कंसाना सिंधिया खेमे से नहीं हैं, जबकि गिरिराज दंडोतिया, रणवीरसिंह जाटव, कमलेश जाटव सिंधिया समर्थकों में शामिल रहे हैं। सिंधिया ने भी कई महीनों से अपना असंतोष उजागर करते हुए साफ कर दिया था कि वे कमलनाथ की नीतियों से सहमत नहीं हैं। यहां तक कि वे सड़क पर आने की बात तक कह चुके हैं और इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा था कि आना है तो आ जाएं... भाजपा द्वारा चलाया गया यह अभियान मुख्यमंत्री की उसी चुनौती का जवाब समझा जा रहा है। सिंधिया और सरकार के बीच चल रही तनातनी के बीच ही भाजपा को सेंध लगाने का बल मिला।


कांग्रेस ने दी फ्लोर टेस्ट की चुनौती :-  मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा को फ्लोर टेस्ट की चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत हो तो दिल्ली बैंगलुरु से भोपाल आकर फ्लोर टेस्ट कराएं। हम भी तैयार हैं। यदि भाजपा ने तोडफोड़ को ही अपनी नीति बना दिया है तो भाजपा के विधायक भी हमारे संपर्क में हैं। हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं। उधर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पिछली बार तो सरकार को समर्थन करने के लिए दो विधायक ही सामने आए थे, तभी से कई विधायक हमारे संपर्क में थे, लेकिन हमने हार्स ट्रेडिंग या तोडफ़ोड़ की नीति को नहीं अपनाया। पर यदि भाजपा ने गंदी नीति का रास्ता दिखाया तो कांग्रेस के पक्ष में कई विधायक वोट करेंगे और यह फ्लोर टेस्ट के समय सामने आ जाएगा।