राजनीतिक संवाददाता,भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक साल तीन महीने तक सरकार चलाने के बाद शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। उनके इस्तीफे के साथ ही भाजपा के लिए सरकार बनाने का दावा पेश करने का रास्ता साफ हो गया है। 5 पॉइंट में जानिए, मध्यप्रदेश में अब आगे क्या होने वाला है?
पीसीसी में सन्नाटा, भाजपा कार्यालय में जुटी भीड़ पुलिस ने विधानसभा, पीसीसी और भाजपा कार्यालय की बढ़ाई सुरक्षा
भोपाल । प्रदेश में जारी सियासी खींचतान के बाद पुलिस ने आज सुरक्षा बढ़ा दी है। खासकर भाजपा कार्यालय, पीसीसी और विधानसभा भवन की सुरक्षा सख्त की गई है। भाजपा कार्यालय में नेता एवं कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने लगी है। ऐसे में बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है। वहीं प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि चारों ओर बैरिकेट्स लगाकर सुरक्षा बढ़ाई है। विधानसभा भवन के प्रमुख मार्गों पर पुलिस चैकिंग पाइंट लगाए हैं। दोपहर 1 बजे के बाद आम वाहनों को विधानसभा पहुंच मार्ग पर जाने नहीं दिया जाएगा। आज सुबह पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारियों ने विधानसभा की सुरक्षा का जायजा लिया।
- भाजपा सरकार बनाने की तैयारी करेगी :- कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब दो स्थितियां होंगी। पहली- राज्यपाल मौजदा स्थिति में सबसे बड़े दल भाजपा से सरकार बनाने का दावा पेश करने को कह सकते हैं। भाजपा इसे स्वीकार कर सरकार बना सकती है। दूसरी- राज्यपाल के कहने से पहले ही भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। वह विधायकों की दोबारा परेड करा सकती है और समर्थन पत्र सौंप सकती है।
- सरकार बनाने के बाद भाजपा को बहुमत साबित करना होगा :- भाजपा सरकार बना लेती है, तब भी उसे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा। पिछले साल महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद उद्धव ठाकरे ने विधायकों के समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंपकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद भी उन्हें विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा, जिसमें वे जीत गए। कर्नाटक में भी 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा बनी। राज्यपाल ने सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलाया और येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने। 6 दिन बाद ही येदियुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
- छह महीने के अंदर 25 सीटों पर उपचुनाव होंगे :- विधानसभा में 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन के बाद पहले से 2 सीटें खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके हैं। शुक्रवार सुबह स्पीकर ने कहा, ''भाजपा विधायक शरद कोल ने भी इस्तीफा दिया था, जिसे मंजूर किया जा चुका है। इस तरह कुल 25 सीटें अब खाली हैं। इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं।
- उपचुनाव में भाजपा को कम से कम 10 सीटें जीतनी होंगी :- भाजपा के पास 106 विधायक हैं। 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा की संख्या 110 हो जाती है। 25 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 6 और सीटों की जरूरत होगी। अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को 10 सीटें जीतनी होंगी। कांग्रेस को निर्दलियों के साथ रहने पर उपचुनाव में 17 और निर्दलियों के पाला बदलने पर 21 सीटें जीतनी होंगी। अगर निर्दलीय के साथ-साथ सपा-बसपा ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया तो उसे सत्ता में वापसी के लिए सभी 24 सीटें जीतनी होंगी।
कमलनाथ का इस्तीफा, अपनी उपलब्धियों पर 16 बार कहा- भाजपा को यह रास नहीं आया
प्रदेश की सड़कों पर घूम रही हमारी गो-माता के संरक्षण के लिए एक हजार गोशाला बनाने का फैसला किया। यह भाजपा को रास नहीं आया। प्रदेश की जनता को 100 यूनिट बिजली का फायदा प्रदेश के 1 करोड़ लोगों को हुआ। भाजपा को यह भी रास नहीं आया। कन्या विवाह में 28 हजार से बढ़कर 51 हजार रुपए की मदद की। भाजपा को यह रास नहीं आया। राम वनपथ गमन के निर्माण का संकल्प लिया। सीता माता का मंदिर श्रीलंका में बनाने का निर्णय लिया। यह भाजपा को रास नहीं आया। हमने ओंकारेश्वर मंदिर के विकास की योजना बनाई। यह भाजपा को रास नहीं आया। पुजारियों का मानदेय हमने तीन गुना बढ़ाया। यह भाजपा को रास नहीं आया। आदिवासी भाइयों के लिए काम किया। वहां स्कूल खोले। 15 महीने में हमने 400 वादे पूरे किए। भाजपा को यह रास नहीं आया। आरक्षण का प्रावधान किया। भाजपा को यह रास नहीं आया। आर्थिक रूप से सामान्य कमजोर वर्ग के लिए काम किया। यह भी रास नहीं आया। प्रदेश में निवेश विश्वास से आता है। हमने मध्यप्रदेश को ऐसा प्रदेश बनाया, जहां झूठी घोषणाएं नहीं थीं। 15 महीने में हमारी सरकार में किसी पर भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। हम विकास के पथ पर हम हमेशा रहेंगे। चुनौतियों का हम डटकर मुकाबला करेंगे। कर्तव्य पथ पर न रुकेंगे, न डिगेंगे।'
सिंधिया ने कहा- जनता की जीत हुई
मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है। मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी। सच्चाई की फिर विजय हुई है। सत्यमेवजयते।