जलवायु परिवर्तन के हो रहे दुष्परिणाम भारत व अन्य देशों में सकती है खाद्यान्न की कमी कमी कमी कमी


लंदन.एजेंसी। विश्व के 122 देशों से प्राप्त आंकड़ों की रिपोर्ट से यह पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से मौसम में होने वाले छोटे-मोटे बदलाव से भारत सहित दुनिया के बहुत से देशों में खाद्यान की कमी का जोखिम उत्पन्न हो सकता है। ब्रिटेन के एक्जेटर विश्वविद्यालय के रिसर्चर ने इस बात का परीक्षण किया कि कैसे जलवायु परिवर्तन विभिन्न देशों में खाद्य असुरक्षा के खतरे को और बढ़ा सकता है। एक रिपोर्ट में एशिया, अफीका तथा दक्षिण अमेरिका के 122 विकासशील तथा कम-विकसित देशों पर गौर किया गया है। एक्जेटर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रिचर्ड बेट्स ने कहा, जलवायु परिवर्तन से भारी बारिश तथा सूखे के रूप में मौसम का मिजाज काफी बिगड़ सकताहै। इसका दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। बेट्स ने कहा, मौसम में बदलाव से खाद्य असुरक्षा और बढ़ सकती है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ बदलाव दिख रहे हैं और इसे बदला नहीं जा सकता लेकिन अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित किया जाता है,76 फीसदी विकासशील देशों में इसका प्रभाव तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से होने वाले नुकसान के मुकाबले अपेक्षाकृत काफी कम होने की संभावना है। तापमान में वृद्धि से औसतन नमी की स्थिति बढ़ेगी। रिसर्च मुताबिक,कुछ क्षेत्रों खासकर भारत और बांग्लादेश में बाढ़ प्रकोप की अवधि चार दिन या उससे अधिक बढ़ेगी। यह प्रभाव कुछ हद तक सभी संबंधित देशों पर पड़ेगा।रिपोर्ट की मानें तो दक्षिणी अफ्रीका तथा तथा दक्षिण अमेरिका के देशों के सूखे प्रभावित होने की आशंका है। रिसर्चर ने अपनी रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से मौसम में बदलाव और उसका खाद्यान की उपलब्धता खाद्य असुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया है।बाढ़ से खाद्य उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन कुछ क्षेत्रों में बार-बार सूखे से भी कृषि प्रभावित होगी। बाढ़ वाली स्थिति का सर्वाधिक प्रभाव दक्षिण और दक्षिण एशिया में पड़ने की आशंका है। वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से गंगा प्रवाह दोगुने से अधिक हो सकता है।


ब्रिटेन की आने वाली पीढ़ी खाना बनाने की कला पूरी तरह भूल जाएगी


लंदन। ब्रिटेन में लोग तेजी से पैकेट वाले ज्यादा लोग इसकारण भी तैयार खाने को खाने के आदि हो रहे हैं। इसके बाद प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि परिवार की खानपान विशेषज्ञों को आशंका है कि अहमियत कम होती जा रही है। वे अब अगली दो पीढ़ी में ब्रिटेनवासी खाना साथ बैठकर खाना नहीं चाहते। ब्रिटेन में पकाने की कला को ही पूरी तरह से भूल अकेला रहने की परंपरा तेजी से बढ़ रही जाएंगे। लेखिका निकोला टैंपल ने है और अकेला व्यक्ति बहुत ही कम खाना चेतावनी दी है कि जिस तरह कभी बेहद बनाना चाहता है।इसकारण क्योंकि उस जरूरी समझी जाने वाली सिलाई की कला खाना बनाने से बर्तन धोने तक काफी अब आधुनिक दुनिया से लगभग लुप्त हो ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। तैयार खाने चुकी है, उसी तरह पाक कला भी खत्म हो का विकल्प सस्ता भी दिखता है और सकती है। वर्तमान में जिसतरह लोग बाहर आसान भी। निकोला ने इसके पीछे तर्क से बना-बनाया खाना खरीदते हैं, वे यह दिया कि पहले हर घर में सिलाई मशीन मानने लगे हैं कि उनके पास अपना खाना होती थी और लोग अपने कपड़े खुद खुद बनाने का समय नहीं है। लेखिका ने सिलते थे। मगर अब ज्यादा से ज्यादा इसके पीछे कारण बताया है कि ज्यादा से लोग रेडीमेड कपड़े पहनना पसंद करते हैं।