नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए क्वान्टिटेटिव डेटा एकत्र करे। डेटा एकत्र कर पता लगाया जाए कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं ताकि प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को रिजर्वेशन देने के लिए निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। एससी/एसटी कैटिगरी में प्रमोशन में आरक्षण देने का निर्देश हाई कोर्ट ने जारी किया था इस फैसले को राज्य सरकार और सामान्य वर्ग के आवेदन ने चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अदालत के सामने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार को हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वह एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में पता लगाने केलिए क्वांटिटेव डेटा एकत्र करे और प्रमोशन में आरक्षण प्रदान करे
प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। किसी का मौलिक अधिकार नहीं है कि वह प्रमोशन में आरक्षण का दावा करे। कोर्ट इसके लिए निर्देश जारी नहीं कर सकता कि राज्य सरकार आरक्षण दे। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा स्वाने जजमेंट मंडल जजमेंट) का हवाला देकर कहा कि अनुच्छेद-16 (4) और अनुच्छेद-16 (4-ए) के तहत प्रावधान है कि राज्य सरकार डेटा एकत्र करेगी और पता लगाएगी कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का प्रयाप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं ताकि प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सके। लेकिन ये डेटा राज्य सरकार द्वारा दिए गए रिजर्वेशन को जस्टिफाई करने के लिए होता है।