राजकोट। राजकोट में समाज को प्रेरणा देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें माता-पिता ने पुत्री को दहेज में बैलगाड़ी भरकर पुस्तकें दी हैं। लड़की के पिता ने देश के अलग शहरों में घूम घूम कर पुस्तकें एकत्र की थीं। मौजूदा दौर में माता-पिता आभूषण और नकद के साथ भौतिक सुख-सुविधा के साधन सामग्री बेटी को दहेज के तौर पर देते हैं। ताकि उनकी बेटी को ससुराल में कोई तकलीफ न हो। लेकिन राजकोट में एक माता-पिता ऐसे हैं जिन्होंने अपनी बेटी की इच्छा के मुताबिक बैलगाड़ी भरकर पुस्तकें दहेज में दी हैं। क्षत्रिय परिवार की पुत्री किन्नरी ने अपने माता-पिता से नकद या आभूषण के बजाए दहेज में पुस्तकें देने की मांग की थी। माता-पिता ने बेटी की मांग पूरी की और उसे दहेज में बैलगाड़ी भरकर 2400 जितनी पुस्तकें दीं। जिसका वजन करीब 500 किलो है। किन्नरी के पिता हरदेवसिंह ने अपनी बेटी के लिए काफी समय से दिल्ली, काशी और बेंगालूरु इत्यादि शहरों में घूम घूम कर पुस्तकें एकत्र की थी। किन्नरी 2400 जितनी पुस्तकें अपने साथ कनाडा ले जाएंगी, जबकि अन्य किताबें अलग अलग स्कूलों में भेंट कर दी जाएंगी। मौजूदा समय में लोग जब किताबों से दूर हो रहे हैं, ऐसे में किन्नरी बा जैसी युवतियां भी हैं जो अपनी शादी में दहेज के तौर पर सोनेचांदी के आभूषणों के बजाए माता-पिता से पुस्तके लेकर समाज को नई दिशा बता रही हैं।
पुत्री को दहेज में माता-पिता ने दी बैल गाड़ी भरकर पुस्तकें