भोपाल । प्रदेश सरकार के खिलाफ चुनाव से ऐन पहले पंचायतीराज संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। इन संगठनों का आरोप है कि राज्य सरकार ने उनके साथ वादा खिलाफी की हैं। त्रिस्तरीय पंचायराज संगठन का आरोप है कि भाजपा सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में जो कटौती की थी, उसे अभी तक वापस नहीं लिया गया है। वहीं, जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों की विवेकाधीन राशि भी रोक ली है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के काम ठप पड़ गए हैं। इसको लेकर पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी है और वे आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए मंगलवार को भोपाल के मानस भवन में बैठक करेंगे। प्रदेश ग्राम पंचायत, जनपद और जिला पंचायतों के चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। हर स्तर पर आरक्षण का काम चल रहा है, जो 10 जनवरी तक पूरा होना है। इसके बाद जिला पंचायत के अध्यक्ष पद का आरक्षण राज्य स्तर से होगा। उधर, सरकार ने जिला और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों को मिलने वाली सालाना विवेकाधीन राशि जारी करने पर रोक लगा दी । पिछली बार जब पंचायत प्रतिनिधि भोपाल में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल के निवास पर जुटे थे, तब यह सहमति बनी थी कि राशि जारी कर दी जाएगी, लेकिन इस पर अमल नहीं हआ। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह के साथ हुई बैठक में अधिकारों के विकेंद्रीकरण को लेकर भी सहमति बन गई थी। इसके भी आदेश विभाग ने नहीं निकाले हैं। इन सभी मुद्दों को लेकर चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों में नाराजगी है।
पंचायतीराज संगठनों ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा