देश के 18 हजार वर्ग किलोमीटर जलाशय क्षेत्र में 2.80 लाख मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता


एजेंसी नई दिल्ली देश में 18,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले जलाशयों में सौर परियोजनाएं लगाकर 2,80,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है। एनर्जी ट्रांसमिशन कमीशन (ईटीसी) के तहत द एनर्जी एंड रिसैसेस इंस्टीट्यूट (टेरी) की तरफ से जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट 'फ्लोटिंग सोलर फोटोवोल्टेक (एफएसपावा): ए सालर पावा सोलर पीवी सेक्टर' शीर्षक से जारी की गईटेरी की इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में जलाशय 18,000 - वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं। इसमें 'फ्लोटिंग' सौर संयंत्रों के जरिए तो 2.80.000 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। ईटीसी इंडिया शोध मंच है। यह ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन कमीशन की इकाई है। हाल में आयोजित विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2020 के दौरान यह रिपोर्ट जारी की गई। इसमें देश में मझोले एवं बड़े आकार के जलाशयों के 30 प्रतिशत जल क्षेत्र के आधार पर 'फ्लोटिग' सौर क्षमता का आकलन किया गया है। इसमें राज्यवार ‘फ्लोटिंग' सौर क्षमता का ब्योरा दिया गया है। इसे वेब आधारित संवाद प्रणाली ... इंडिया फ्लोटिग सोलर पीवी-टूल' के रूप में दिया गया है। इसका विकास भी अध्ययन के तहत किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में सर्वाधिक ‘फ्लोटिग' सौर उत्पादन क्षमता है और वहां 3.173 वर्ग किलोमीटर में फैले जल क्षेत्र में 57,891 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। फिलहाल, देश में जमीन पर स्थापित ग्रिड से जुड़ी सौर फोटोवोल्टेक (पीवी) परियोजनाओं का योगदान 93.1 प्रतिशत है। देश में सौर पीवी स्थापित करने की लागत 2010 से 2018 के बीच 84 प्रतिशत कम हुई है। इससे भारत में उपयोग स्तर के सौर पीवी की स्थापना की लागत किसी अन्य देश के मुकाबले सबसे कम है। रिपोर्ट के अनुसार हालांकि सौर पीवी परियोजना लगाने में काफी जगह की जरूरत होती है जो एक चुनौती है। इसमें कहा गया है कि देश में सौर उत्पादन क्षमता के संदर्भ में जो लक्ष्य रखा गया है, उसे हासिल करने के लिए फ्लोटिंग सौर जैसे दूसरे विकल्पों पर गौर करना होगा। देश में 2020 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 1.75 लाख मेगावाट उत्पादन क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता का लक्षय 1,00,000 मेगावाट है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर सालाना क्षमता वृद्धि बढ़कर 4600 मेगावाट (पी) हो सकती है जो 2018 में 1314 मेगावाट (पी) थी। फिलहाल चीन फ्लोटिंग सौर के मामले में प्रमुख बाजार है। उसके बाद क्रमशः जापान और दक्षिण कोरिया का स्थान है।