नई दिल्ली । राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान (एनआईबीएम) की स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि बैंक हमारी आर्थिक प्रणाली की धुरी हैं। इस भूमिका में बैंकों की सक्षमता से उन्हें लोगों का विश्वास और सम्मान मिला है। हमारे संविधान में सभी नागरिकों के लिए आर्थिक न्याय का वादा किया गया है। बैंकों को इस संवैधानिक संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण वाहन समझा जाता है। उन्होंने पारम्परिक भूमिका से आगे वित्तीय बिचौलिया बनने के लिए बैंकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सराहनीय है कि हमारे बैंकों ने स्वयं को अभिजात्य वर्गों की सेवा से अलग आम जन की सेवा में प्रस्तुत किया है। विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत गरीब और जरूरतमंद लोगों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से राशि पहुंचने से लाखों लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बैंकों को विकास और समानता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक संविदा का हिस्सा माना जाता था। देश की आर्थिक प्रणाली में बैंकों के महत्व पर विचार करते हुए 1949 में बैंकिंग नियमन अधिनियम लागू किया गया।
बैंक हमारी आर्थिक प्रणाली की धुरी हैं : राष्ट्रपति