भोपाल। सातवां वेतनमान और प्रमोशन पॉलिसी में विसंगति दूर करने की मांग को लेकर प्रदेश के 3300 से ज्यादा मेडिकल टीचर इस्तीफा सौंप चुके हैं। इस्तीफा सौंपे हुए छह दिन से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक सरकार और मेडिकल टीचर्स के बीच कोई बात नहीं बनी है। मेडिकल टीचर एसोसिएशन (एमटीए) ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार ने दोनों मांगे नहीं मानी तो हम सब 3300 सदस्य नौ जनवरी से सेवा में नहीं रहेंगे। एमटीए की इस चुनौती का सरकार पर कितना असर होगा यह तो अलग बात है, लेकिन मरीजों पर सीधा असर देखने को मिलेगा। शहर के हमीदिया और सुलतानिया अस्पताल की जिमेदारी मेडिकल टीचर के ऊपर ही है। यदि यहां इन्होंने काम बंद कर दिया तो मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं होगा। हमीदिया में जहां प्रतिदिन तीन हजार से ज्यादा मरीज ओपीडी में आते हैं, वहीं सुलतानिया में यह आंकड़ा छह सौ के करीब है। आपरेशन, एमएलसी व प्रसव में आएगी परेशानी:
हमीदिया और सुलतानिया अस्पताल में तीन सौ से ज्यादा मेडिकल टीचर बतौर डॉक्टर काम करते हैं। यदि 9 जनवरी से सभी डॉक्टर काम नहीं करेंगे तो उक्त दोनों अस्पतालों में आने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। यहां न तो किसी भी तरह के आपरेशन हो सकेंगे और न इमरजेंसी केस हैंडल किए जाएंगे। सुलतानिया में होने वाले प्रसव भी मुश्किल में आ जाएंगे। मेडिगो लीगल केस भी कोई नहीं बनाएगा। दोनों अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने का एक और कारण यह है कि यहां काम करने वाले जूनियर डॉक्टर भी मेडिकल टीचर के बगैर तकनीकी रूप से असहाय हो जाएंगे। उन्होंने इसकी सूचना भी शासन को दे दी है। जूडा ने कह दिया है कि एमसीआई के नियमानुसार हम बगैर सीनियर डॉक्टर के कुछ नहीं कर सकते।
हमीदिया-सुलतानिया में तीन बाद से बिगड़ सकते हैं हालात