कोटा, एजेंसी। राजस्थान के कोटा के जेके लोन सरकारी अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। अब तक 106 मासूम दम तोड़ चुके हैं। कोटा के बाद बूंदी में भी यह संक्रमण फैल गया है। जहां भी 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। इसी बीच कोटा मामले में गठित जांच समिति ने दो दिन पहले अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति का कहना है कि अस्पताल में लगभग हर तरह के उपकरण और व्यवस्था में बहुत सारी खामियां हैं। बच्चों की मौत का मुख्य कारण हाइपोथर्मिया बताया गया है। हालांकि सच्चाई यह है कि इससे बच्चों को बचाने के लिए आवश्यक अस्पताल का हर उपकरण खराब है। कोटा के अस्पताल में बीचे 34 दिन में 106 बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। सचिन पायलट और ओम होना चाहिए। इसके लिए नर्सरी में बिरला जाएंगे बच्चों की सुध लेने वॉर्मर के जरिए उनके तापमान को जेके लोन अस्पताल में लगातार दम 28 से 32 डिग्री के बीच रखा जाता तोड़ रहे मासूमों की सुध लेने के लिए है। अस्पाल में मौजूद 71 में से 44 आज राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन वॉर्मर खराब हैं। जिसके कारण नर्सरी पायलट और लोकसभा अध्यक्ष ओम में तापमान गिर गया और बच्चे बिरला आज कोटा पहुंच रहे हैं। ओम हाइपोथर्मिया के शिकार हो गए। राज्य बिरला पीड़ितों के परिजनों से के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा शुक्रवार को मुलाकात करेंगे। खामियां ही खामियां, जिले के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह 71 में से 44 वॉर्मर खराब नवजात खाचरियावास और विधायक दानिश शिशुओं का तापमान 36.5 डिग्री तक अबरार के साथ अस्पताल पहुंचे। अपता ने इस तरह की अस्पताल में इस तरह की कमियों की लंबी लिस्ट अस्पताल में कम से कम 40 और बेड की जरूरत है। वहीं पूरे राज्य के अस्पतालों में 4100 बेड की जरूरत है। कोटा के अस्पताल में ऑक्सीजन पाइपलाइन नहीं है। यहां सिलिंडर से ऑक्सीजन दिया जाता है। इसी तरह की स्थिति जोधपुर, उदयपुर अजमेर और बीकानेर में भी है। हर तीन महीने में आईसीयू को फ्यूमिगेट करके इंफेक्शन दूर करना जरूरी होता है लेकिन अस्पताल में यह कार्य पांचछह महीनों तक नहीं किया जाता। . राज्य के लगभग हर अस्पताल में बच्चों के इलाज का रिकॉर्ड नहीं है। . बच्चों के इलाज के लिए 230 में से 44 वेंटिलेटर खराब हैं।
अस्पताल का हर उपकरण खराब,बूंदी में भी 10 मासूमों ने तोड़ा दम