हाफ डे संबाददाता लखनऊ । नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ यूपी में हुई हिंसा की घटनाओं पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने कड़ा रुख आपनाते हुए यहां के डीजीपी ओपी सिंह को नोटिस जारी कर प्रदर्शन के दौरान हिंसा और मौत पर चार हफ्ते के अंदर जवाब तलब किया है। हिंसा और मौत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का एक समूह एनएचआरसी से शिकायत भी कर चुका है।
दूसरी ओर लखनऊ प्रशासन ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। अभी तक 82 लोगों को नोटिस भेजा जा चुका है। इन सभी लोगों को अदालत में हाजिर होकर यह बताना होगा कि आखिर हिंसा में पहचाने जाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। प्रशासन की ओर से यह नोटिस लखनऊ में हुए नुकसान की भरपाई के लिए भेजा जा रहा है। नोटिस उन लोगों को भेजा गया है जिनको इस घटना के दौरान नुकसान हुई संपत्ति का जिम्मेदार माना गया है।
लखनऊ में हुई गिरफ्तारी पर डीजीपी मुख्यालय ने सोमवार को आंकड़े जारी किए थे। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन, तोड़फोड़ और आगजनी में 10 दिसंबर से अब तक की कार्रवाई में पूरे प्रदेश में अब तक कुल 213 एफआईआर दर्ज हुई जबकि 925 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। साथ ही 5558 लोगों के खिलाफ निषेधात्मक कार्रवाई की गई है। सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट डालने के मामलों में 81 एफआईआर दर्ज की गई है। 120 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। 7513 ट्विटर पोस्ट, 9076 फेसबुक पोस्ट, 172 यूट्यूब वीडियो पर कार्रवाई की गई है।
पुलिस के मुताबिक हिंसा में कुल 288 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, जिनमें 61 लोगों को हथियार से चोटें आई हैं। पुलिस को कुल 646 अवैध हथियारों के खाली खोखे बरामद हुए हैं। पुलिस ने कुल 15 मौतों की मौतों की पुष्टि की है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर हिंसा को अंजाम दिया। जिसके बाद पुलिस प्रदर्शनकारियों की धरपकड़ में जुट गई है। इस बीच मुजफ्फरनगर में 80 दुकानों को पुलिस ने सीज कर दिया। एसएसपी का कहना है कि दुकान मालिकों को नोटिस भेजा जा चुका है और नुकसान की भरपाई के लिए कहा गया है।